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"शहर" पर रचनाएँ
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सख़्त शहर नहीं क़बीले हैं
अविनाश ब्यौहार
बड़ा झमेला है
अविनाश ब्यौहार
जमकर भड़के हैं
अविनाश ब्यौहार
आया शहर कमाने था बरकत के वास्ते
अभिनव मिश्र 'अदम्य'
इक लगन तिरे शहर में जाने की लगी हुई थी
अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श'
शोर यूँही न परिंदों ने मचाया होगा
कैफ़ी आज़मी
कानपुर के नाम पाती
गोपालदास 'नीरज'
आओ! शहरों में गाँव ढूँढ़ते हैं
डॉ॰ नेत्रपाल मलिक
जिस शहर गए
अनिरुद्ध उमट
ख़ामोशी और हँसी
असद ज़ैदी
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