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"अनिर्धारित विषय" पर रचनाएँ
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इक तरफ़ है भूक बैरन इक तरफ़ पकवान हैं
मनजीत भोला
फ़रमान करें तो
अविनाश ब्यौहार
हमारी राय शुमारी अगर ज़रूरी है
दिलशेर 'दिल'
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
राहत इन्दौरी
मान लो यार हमें नशा होगा
मनजीत भोला
ज़हन होगा प्रखर अब तो
अविनाश ब्यौहार
शुरू नॉविल किया पढ़ना लगा वो रहबरी वाला
मनजीत भोला
उड़ाने सभी आसमानो में है
अविनाश ब्यौहार
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
राहत इन्दौरी
होम करते हाँथ जलते
अविनाश ब्यौहार
ख़ुशी तो हमेशा पलों के लिए है
अविनाश ब्यौहार
मोहब्बतों के सफ़र पर निकल के देखूँगा
राहत इन्दौरी
काम सब ग़ैर-ज़रूरी हैं जो सब करते हैं
राहत इन्दौरी
सारी उम्र ज़ाया कर दी यूँ ही पढ़ने पढ़ाने में
कर्मवीर 'बुडाना'
बेशक नहीं पसंद वो नफ़रत न हम रखेंगे
मनजीत भोला
मेरे नाज़ुक सवाल में उतरो
ज़फ़र हमीदी
जब भी वो मुझ से मिला रोने लगा
ज़फ़र हमीदी
मैं ज़िंदगी का नक़्शा तरतीब दे रहा हूँ
ज़फ़र हमीदी
अपने दिल-ए-मुज़्तर को बेताब ही रहने दो
ज़फ़र हमीदी
क्यूँ मैं हाइल हो जाता हूँ अपनी ही तन्हाई में
ज़फ़र हमीदी
कितने हाथ सवाली हैं
ज़फ़र ताबिश
न कहो तुम भी कुछ न हम बोलें
ज़फ़र ताबिश
बस्ती बस्ती जंगल जंगल घूमा मैं
ज़फ़र ताबिश
ब-ज़ाहिर यूँ तो मैं सिमटा हुआ हूँ
ज़फ़र ताबिश
ज़िंदगी दर्द की कहानी है
फ़िराक़ गोरखपुरी
आँखों में जो बात हो गई है
फ़िराक़ गोरखपुरी
निगाह-ए-नाज़ ने पर्दे उठाए हैं क्या क्या
फ़िराक़ गोरखपुरी
ये नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चराग़
फ़िराक़ गोरखपुरी
है अभी महताब बाक़ी और बाक़ी है शराब
फ़िराक़ गोरखपुरी
इक रोज़ हुए थे कुछ इशारात ख़फ़ी से
फ़िराक़ गोरखपुरी
जुनून-ए-कारगर है और मैं हूँ
फ़िराक़ गोरखपुरी
हिज्र-ओ-विसाल-ए-यार का पर्दा उठा दिया
फ़िराक़ गोरखपुरी
आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ
फ़िराक़ गोरखपुरी
रात भी नींद भी कहानी भी
फ़िराक़ गोरखपुरी
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
फ़िराक़ गोरखपुरी
अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है
फ़िराक़ गोरखपुरी
आज वीरान अपना घर देखा
दुष्यंत कुमार
होने लगी है जिस्म में जुम्बिश तो देखिए
दुष्यंत कुमार
पक गई हैं आदतें बातों से सर होंगी नहीं
दुष्यंत कुमार
अगर ख़ुदा न करे सच ये ख़्वाब हो जाए
दुष्यंत कुमार
तुमको निहारता हूँ सुबह से ऋतम्बरा
दुष्यंत कुमार
कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हरेक घर के लिए
दुष्यंत कुमार
वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है
दुष्यंत कुमार
ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दोहरा हुआ होगा
दुष्यंत कुमार
ये सच है कि पाँवों ने बहुत कष्ट उठाए
दुष्यंत कुमार
जाने किस किस का ख़याल आया है
दुष्यंत कुमार
ये माना उस तरफ़ रस्ता न जाए
मदन मोहन दानिश
हम अपने दुख को गाने लग गए हैं
मदन मोहन दानिश
दे सको तो ज़िंदगानी दो मुझे
मदन मोहन दानिश
नफ़रतों से लड़ो प्यार करते रहो
मदन मोहन दानिश
रंग-ए-दुनिया कितना गहरा हो गया
मदन मोहन दानिश
कोई ये लाख कहे मेरे बनाने से मिला
मदन मोहन दानिश
है इंतिज़ार मुक़द्दर तो इंतिज़ार करो
मदन मोहन दानिश
हर एक लम्हा मिरी आग में गुज़ारे कोई
मदन मोहन दानिश
मेरा नहीं है और न किसी और ही का है
अतुल अजनबी
भली हो या कि बुरी हर नज़र समझता है
अतुल अजनबी
सफ़र में यूँ तो बलाएँ भी काम करती हैं
अतुल अजनबी
निगाह कोई तो तूफ़ाँ में मेहरबान सी है
अतुल अजनबी
अजब ख़ुलूस अजब सादगी से करता है
अतुल अजनबी
सर पर हमारे साया-ए-दीवार भी नहीं
अतुल अजनबी
किसी के एक इशारे में किस को क्या न मिला
फ़ानी बदायुनी
हम मौत भी आए तो मसरूर नहीं होते
फ़ानी बदायुनी
मर के टूटा है कहीं सिलसिला-ए-क़ैद-ए-हयात
फ़ानी बदायुनी
क्या छुपाते किसी से हाल अपना
फ़ानी बदायुनी
आँख उठाई ही थी कि खाई चोट
फ़ानी बदायुनी
मेरे लब पर कोई दुआ ही नहीं
फ़ानी बदायुनी
हर साँस के साथ जा रहा हूँ
फ़ानी बदायुनी
इक फ़साना सुन गए इक कह गए
फ़ानी बदायुनी
वो हमें जिस क़दर आज़माते रहे
ख़ुमार बाराबंकवी
न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है
ख़ुमार बाराबंकवी
कुछ दिन से ज़िंदगी मुझे पहचानती नहीं
अंजुम रहबर
आग बहते हुए पानी में लगाने आई
अंजुम रहबर
दिल लगाने की भूल थे पहले
सूर्यभानु गुप्त
जिन के अंदर चराग़ जलते हैं
सूर्यभानु गुप्त
रंज इस का नहीं कि हम टूटे
सूर्यभानु गुप्त
वो तो गया ये दीदा-ए-ख़ूँ-बार देखिए
मजरूह सुल्तानपुरी
इस नाज़ इस अंदाज़ से तुम हाए चलो हो
कलीम आजिज़
शाने का बहुत ख़ून-ए-जिगर जाए है प्यारे
कलीम आजिज़
मिरी मस्ती के अफ़्साने रहेंगे
कलीम आजिज़
बड़ी तलब थी बड़ा इंतिज़ार देखो तो
कलीम आजिज़
चाँद उन आँखों ने देखा और है
जयंत परमार
उस ने मज़ाक़ समझा मिरा दिल दुखा गया
जयंत परमार
जुगनू था तारा था क्या था
जयंत परमार
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
निदा फ़ाज़ली
दो चार गाम राह को हमवार देखना
निदा फ़ाज़ली
कितने अरमाँ पिघल के आते हैं
रेखा राजवंशी
कभी हरीफ़ कभी हम-नवा हमीं ठहरे
फ़राग़ रोहवी
ऐसी तड़प अता हो के दुनिया मिसाल दे
मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद
सारा आलम गोश-बर-आवाज़ है
असरार-उल-हक़ मजाज़
आँखों का तारा
अजय कुमार 'अजेय'
मेरी हृदय कामना
अनिल भूषण मिश्र
उमंग
केदारनाथ मिश्र 'प्रभात'
बाँध ना पाया
हेमन्त कुमार शर्मा
कोयल करे मुनादी
अविनाश ब्यौहार
नाव घाट लगी
अविनाश ब्यौहार
भटक रहे पाँव
अविनाश ब्यौहार
चमचमाती कारों से
अविनाश ब्यौहार
घोड़े हवाओं के
अविनाश ब्यौहार
शनासाई
अविनाश ब्यौहार
करते टीका
अविनाश ब्यौहार
पाप पुण्य में हाथापाई
अविनाश ब्यौहार
लू लपट की शर शैया
अविनाश ब्यौहार
घायल तटबंध हुए
अविनाश ब्यौहार
कलमुँही रात है
अविनाश ब्यौहार
फँस गया ज़िला
अविनाश ब्यौहार
मंज़ूर नहीं
रमेश रंजक
छाया त्रासन है
अविनाश ब्यौहार
है मर गया आँख का पानी
अविनाश ब्यौहार
चावल उबला पीच रहा है
अविनाश ब्यौहार
बे-नियाज़ अब नहीं मिलेंगे
अविनाश ब्यौहार
अपराधी है तो थाना है
अविनाश ब्यौहार
उपदा केवल खाम ख़याली है
अविनाश ब्यौहार
है दुनिया पर नहीं भरोसा
अविनाश ब्यौहार
सौ-सौ उठे बवाल
अविनाश ब्यौहार
गृहस्थी
अविनाश ब्यौहार
गौं
अविनाश ब्यौहार
एक चिड़िया
निदा फ़ाज़ली
हम बंजारे हैं
श्याम सुन्दर अग्रवाल
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