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योगमाया (कविता) Editior's Choice

कृष्ण की नियति से
तुम्हारा ऋणात्मक योग था
योगमाया!
तुम्हें विनिष्ट होना था
लीला-पुरुष की लीलाओं में
योग-माया तुम्हें उड जाना था,
समय-कंस के हाथ से
फेलोमिना की तरह
कैसे जी सकती थीं तुम?
योगिराज के समानांतर
योगमाया!
अब समय कुछ कहे,
या इतिहास कुछ गहे
योगमाया होती गर तुम भगवती का स्वरूप
इतिहास उलट गया होता!


            

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