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ये रात (कविता) Editior's Choice

न गोलियाँ चल रही हैं
न बम गिर रहे हैं इलाक़े में
न तोपों की आवाज़ बुलंद है
न अजनबी छायाएँ हैं आस-पास

हमारा घर आज ख़ौफ़ में नहीं
न ही कोई बड़ी ख़बर हमले की

आज की रात आओ प्यार कर लें जी भरके
न जाने ये रात, कल नसीब हो न हो।


            

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