देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

ये माना उस तरफ़ रस्ता न जाए (ग़ज़ल) Editior's Choice

ये माना उस तरफ़ रस्ता न जाए,
मगर फिर भी मुझे रोका न जाए।

बदल सकती है रुख़ तस्वीर अपना,
कुछ इतने ग़ौर से देखा न जाए।

उलझने के लिए सौ उलझनें हैं,
बस अपने आप से उलझा न जाए।

इरादा वापसी का हो अगर तो,
बहुत गहराई में उतरा न जाए।

हमारी अर्ज़ बस इतनी है 'दानिश',
उदासी का सबब पूछा न जाए।


            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें