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विस्मृति (कविता) Editior's Choice

स्त्री का समर्पण
शुक्राणु का भविष्य बदल देता है
भले ही वह शुक्राणु हो
एक अहंकारी पुरुष के वीर्य का अंश

परंतु स्नेहिल माता की स्निग्ध कोख में
आश्रय पा तंज़ देता है अहंकार का गुण
हो जाती है तिरोहित क्रूरता की प्रवृत्ति
और धारण कर लेता है
माता के गुणों की शीतलता
सुनो!
दुनिया के दहशतगर्दों
नौ महीने कोख में रहकर जो सीखा
उसे कैसे भुला देते हो तुम सब?


            

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