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तुम्हें सौंपता हूँ (कविता) Editior's Choice

फूल मेरे जीवन में आ रहे हैं

सौरभ से दसों दिशाएँ
भरी हुई हैं
मेरी जी विह्वल है
मैं किस से क्या कहूँ

आओ,
अच्छे आए समीर,
ज़रा ठहरो
फूल जो पसंद हों, उतार लो
शाखाएँ, झकझोरो, जिन्हें गिरना हो गिर जाएँ
जाएँ जाएँ

पत्र पुष्प जितने भी चाहो
अभी ले जाओ
जिसे चाहो, उसे दो
लो
जो भी चाहो लो

एक अनुरोध मेरा मान लो
सुरभि हमारी यह
हमें बड़ी प्यारी है
इस को सँभाल कर जहाँ ले जाना
ले जाना
इसे
तुम्हें सौंपता हूँ।


रचनाकार : त्रिलोचन
            

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