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शीश महल (कविता)

पारदर्शी हो
जो कुछ न छुपाता हो
अंदर बाहर एक समान
एक खुली किताब की तरह।
जैसे–
आत्मा
जिसमें न घात न प्रतिशोध हो
केवल प्रेम हो
दया परोपकार हो
सकारात्मक चिंतन हो
जो ह्रदय में है
वही कर्म में हो
सब कुछ स्पष्ट
जैसे–
शीश महल।


  • विषय :
लेखन तिथि : 25 अगस्त, 2022
            

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