देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

शब्दों से कभी-कभी काम नहीं चलता (कविता) Editior's Choice

शब्दों से कभी-कभी काम नहीं चलता

जीवन को देखा है
यहाँ कुछ और
वहाँ कुछ और
इसी तरह यहाँ-वहाँ
हरदम कुछ और
काई एक ढंग सदा काम नहीं करता

तुम को भी चाहूँ तो
छूकर तरंग
पकड़ रखूँ संग
कितने दिन कहाँ-कहाँ
रख लूँगा रंग

अपना भी मनचाहा रूप नहीं बनता।


रचनाकार : त्रिलोचन
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें