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सन्नाटा (कविता) Editior's Choice

तालियों की गड़गड़ाहट के बीच
अंत में कहीं
ख़त्म होगा यह खेल

तब आएगा सन्नाटा
राख की तरह ढाँपता
हमारी आत्मा और शरीर को

यहाँ से शुरू होगा एक
नया खेल
जिसका अंत
ख़ुदा ही जाने।


            

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