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सम्मान (दोहा छंद) Editior's Choice

सदाचार शिक्षण मिले, शिक्षा नैतिक ज्ञान।
मानवीय मूल्यक सदा, मिले कीर्ति सम्मान॥

सबकी चाहत लोक में, मिले समादर मान।
कर्मवीर सच सारथी, सेवा परहित शान॥

लौटे ख़ुशियाँ बचपना, दीन अधर मुस्कान।
दीप जले घर ज्ञान का, मिले सुखद सम्मान॥

प्रीति भक्ति सद्भाव मन, शान्ति सुखद मुस्कान।
नर नारी पौरुष युगल, दोनों को सम्मान॥

स्वस्थ मुदित दीर्घायु हों, अधर पुष्प मुस्कान।
सुख वैभव संगम बने, त्याग मूर्ति सम्मान॥

शिक्षा हो सर्वजन सुलभ, ज्ञानी हो सम्मान।
गुरुता हो आचार में, शास्त्रनिपुण विद्वान॥

नारी जग शिक्षा अभय, हो समत्व उत्थान।
मातृशक्ति सबला बने, तभी मनुज सम्मान॥

दीप जले सुख सम्पदा, बने दीप सम्मान।
दीप जले भारत विजय, जले दीप बलिदान॥

खिलते रहिए फूल बन, जब तक तन में प्राण।
निज पौरुष सत्कार्य से, दें भारत सम्मान॥

मन में हो सम्वेदना, बाँटें जग मुस्कान।
हर उदास मुख वेदना, मिले ज्ञान सम्मान॥


  • विषय :
लेखन तिथि : 4 मार्च, 2024
            

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