देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो (ग़ज़ल) Editior's Choice

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो,
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो।

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं,
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो।

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता,
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो।

कहीं नहीं कोई सूरज धुआँ धुआँ है फ़ज़ा,
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो।

यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें,
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो।


            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें