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रामत्व (कविता) Editior's Choice

कर्म:
पावन नाम को पावन गाएँ,
मिल-मिल कर सब ही दोहराएँ।
कर्मों की जग करता पूजा,
राम नाम हैं जीवन दूजा॥

प्रण:
साथ के संगी छूट न जाएँ,
ममतामयी मन रूठ न जाए।
मुश्किल से मुश्किल हल होगी,
राम प्रण का पूर्ण योगी॥

चाल:
राजपाट जिसे रोक न पाया,
वनवासी वन जीत ले आया।
दुश्वारी निर्बल की भोगी,
राम नाम जपते है जोगी॥

चलन:
इंद्रियाँ जिसे ठग ना पाई,
साथ रही और राह बनाई।
प्रतिष्ठा का मान हैं ऊँचा,
मर्यादि श्री राम समूचा॥

छवि:
बल में क्रोध कभी नहीं आया,
सजती सुडौल सुशोभित काया।
साथ में साथी मिलते जाएँ,
राम निडर रह राह बनाएँ॥

पराक्रम:
हाथ में जब कोदंड उठाया,
क्षमता देख दानव घबराया।
पराक्रम में अतिबलशाली,
राम रीत की बात निराली॥

मार्ग:
अहंकार को जड़ से मिटाया,
ख़ुशियों का गया दीप जलाया।
चमक उठी प्रकाशमय लीला,
राम गान है बड़ा सुरीला॥

संदेश:
राम धर्म हैं अधर्म नहीं है,
'राम-राम' करो शर्म नहीं हैं।
भ्रम की शिक्षा भूल न जाए,
जीवन ख़ुद रामायण गाए॥

दुनिया को यही राम सुहाएँ,
मिल-मिल कर सब ही दोहराएँ।
कर्मों की जग करता पूजा,
राम नाम हैं जीवन दूजा॥


लेखन तिथि : 2023
            

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