देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

राजा बोला (कविता) Editior's Choice

राजा बोला—
‘रात है’
मंत्री बोला—‘रात है’
एक-एक कर फिर सभासदों की बारी आई
उबासी किसी ने, किसी ने ली अँगड़ाई
इसने, उसने—देखा-देखी फिर सबने बोला—
‘रात है...’
यह सुबह-सुबह की बात है...


            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें