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पथ पर चलते रहो निरंतर (कविता) Editior's Choice

पथ पर
चलते रहो निरंतर

सूनापन हो
या निर्जन हो
पथ पुकारता है
गत-स्वप्न हो

पथिक,
चरण-ध्वनि से
दो उत्तर

पथ पर
चलते रहो निरंतर


रचनाकार : त्रिलोचन
            

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