सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश | 1917 - 2007
पथ पर चलते रहो निरंतर सूनापन हो या निर्जन हो पथ पुकारता है गत-स्वप्न हो पथिक, चरण-ध्वनि से दो उत्तर पथ पर चलते रहो निरंतर
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें