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पक गई हैं आदतें बातों से सर होंगी नहीं (ग़ज़ल) Editior's Choice

पक गई हैं आदतें बातों से सर होंगी नहीं,
कोई हंगामा करो ऐसे गुज़र होगी नहीं।

इन ठिठुरती उँगलियों को इस लपट पर सेंक लो,
धूप अब घर की किसी दीवार पर होगी नहीं।

बूँद टपकी थी मगर वो बूंदों बारिश और है,
ऐसी बारिश की कभी उन को ख़बर होगी नहीं।

आज मेरा साथ दो वैसे मुझे मा'लूम है,
पत्थरों में चीख़ हरगिज़ कारगर होगी नहीं।

आप के टुकड़ों के टुकड़े कर दिए जाएँगे पर,
आप की ताज़ीम में कोई कसर होगी नहीं।

सिर्फ़ शाइ'र देखता है क़हक़हों की असलियत,
हर किसी के पास तो ऐसी नज़र होगी नहीं।


            

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