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पानी को क्या सूझी (कविता) Editior's Choice

मैं उस दिन
नदी के किनारे पर गया
तो क्या जाने
पानी को क्या सूझी
पानी ने मुझे
बूँद-बूँद पी लिया
और मैं
पिया जाकर पानी से
उसकी तरंगों में
नाचता रहा
रात-भर
लहरों के साथ-साथ
बाँचता रहा!


            

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