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निद्राविहीन रात्रि (कविता) Editior's Choice

भौंकता है रात्रि का पशु मेरी खुली आँख से
भौंकता है, न कि काटता है

भौंकता है
क्योंकि शरीर में चीख़ता है शरीर

क्योंकि चेतना को भूल गई है निस्पंद घड़ी
क्योंकि जो समीपतर है बुरा है—और है।


रचनाकार : असद ज़ैदी
            

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