बांदा, उत्तर प्रदेश | 1911 - 2000
न बुझी आग की गाँठ है सूरज : हरेक को दे रहा रोशनी— हरेक के लिए जल रहा— ढल रहा— रोज़ सुबह निकल रहा- देश और काल को बदल रहा।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें