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मुझे तुम मिले! (कविता) Editior's Choice

मुझे तुम मिले!

मृतक-प्राण में शक्ति-संचार कर;
निरंतर रहे पूज्य, चैतन्य भर!
पराधीनता—पाप-पंकिल धुले!
मुझे तुम मिले!

रहा सूर्य स्वातंत्र्य का हो उदय!
हुआ कर्मपथ पूर्ण आलोकमय!
युगों के घुले आज बंधन खुले!
मुझे तुम मिले!


            

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