झुन्झुनू, राजस्थान | 1948
मृत्यु जैसे कि एक गुलदस्ता टूटकर बदलता सृष्टि के बग़ीचे में मृत्यु जैसे कि एक झरना एक क्षण ठहर उद्याम वेग से आगे बढ़ता समुद्र की ओर।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें