देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

मृत्यु (कविता) Editior's Choice

एक बहुत बड़े दर्पण में
अँधेरा डोल रहा है।
तूफ़ान पी रहा है आसमान।

बाहर बहुत तेज़ धूप है—
गहरी और सुर्ख़ धूप।

तेज़ रोशनी की तहों में सोया है एक फूल :
बंद हो रहे दरवाज़ों, झँझरीदार खिड़कियों के पार
मौसम बेहोश, ...कोहरे के कफ़स में
पंक्षी पर फड़फड़ाते हैं।

कमर से झुके हुए,
हाथों में काली लालटेनें थामे—सबके-सब
काँपते क़दमों से इधर-उधर भाग रहे हैं,
फ़र्श पर बिजलियाँ टूटकर नीली पड़ गई हैं।

सीढ़ियों से उतरकर एक ‘टाइफ़स्’
चाँदनी में ठंडा पड़ गया है।

कोई पापी इस सारी दुर्घटना को
रचने में लीन है।


रचनाकार : दूधनाथ सिंह
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें