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मोहक मधुमय आई होली (कविता)

मोहक मधुमय आई होली,
घूम मचाती इत-उत डोली।

मस्ती में डूबा बरसाना,
होली खेलें राधा कान्हा,

सखियाँ करती ख़ूब ठिठोली,
मोहक मधुमय आई होली।

रंगों से भर कर पिचकारी,
खेले सब बालक नर नारी,

निकली है मस्तों की टोली,
मोहक मधुमय आई होली।

नीला पीला लाल हरा है,
रंग गुलाल अबीर भरा है,

सुन्दर लगती है रंगोली,
मोहक मधुमय आई होली।

पकवानों में लगते न्यारे,
सांखें-गुझिया शक्करपारे।

फागुन के मद में हमजोली,
मोहक मधुमय आई होली।


रचनाकार : सीमा 'वर्णिका'
लेखन तिथि : 12 मार्च, 2022


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