मिरी मस्ती के अफ़्साने रहेंगे,
जहाँ गर्दिश में पैमाने रहेंगे।
निकाले जाएँगे अहल-ए-मोहब्बत,
अब इस महफ़िल में बेगाने रहेंगे।
यही अंदाज़-ए-मय-नोशी रहेगा,
तो ये शीशे न पैमाने रहेंगे।
रहेगा सिलसिला दार-ओ-रसन का,
जहाँ दो चार दीवाने रहेंगे।
जिन्हें गुलशन में ठुकराया गया है,
उन्ही फूलों के अफ़्साने रहेंगे।
ख़िरद ज़ंजीर पहनाती रहेगी,
जो दीवाने हैं दीवाने रहेंगे।
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