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मनु का आसमान (कविता) Editior's Choice

कितना निर्मल है
मनु का दो बरस का आसमान
और कितने बड़े-बड़े अक्षरों में
लिखा है मेरा नाम
मनु के दो बरस के आसमान में
कि जब मैं पढ़ रहा होता हूँ
आसमान की संपूर्णता में
सिर्फ़ मेरा ही नाम होता है

जब नीलू पढ़ती है
नीलू का नाम
भाभी पढ़ती है
भाभी का नाम
कितना जादुई है मनु का आसमान

कल हम मनु के आसमान के लिए
वर्णमालाओं के बादल लाएँगे
गिनतियों के सितारे
और दुख-सुख के चाँद-सूरज
कल कितना रंगीन होगा मनु का आसमान
मैं, नीलू, भाभी
सब होंगे उस आसमान में रंगीन
गड्ड-मड्ड
कि पहचान ही नहीं पाएँगे ख़ुद को
एक-दूसरे को
कल मनु भूल जाएगी
उसके दो बरस के आसमान पर लिखी
भाषा की पहचान

मुझे चाहिए
मनु का निर्मल आसमान
ताकि मैं उसे अपनी उम्र की खिड़की पर टाँग कर
उस पर लिखा
अपना नाम पढ़ता रहूँ
ऐसा करते हुए
मेरा समय
हमेशा मुझसे हार जाता है।


रचनाकार : शरद बिलाैरे
            

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