देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

मैं लौट नहीं सका (कविता) Editior's Choice

मैं लौट नहीं सका
होकर संपूर्ण स्वर में भर रूपाकार
—यह और बात है
लेकिन उड़ने से पहले
दृष्टि ने ध्यान के अगम शिखरों पर
तुझे ही छुआ था
बनकर प्राण,
हर बार
तार-तार में भर
वेदना की झंकार।


            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें