कब मिलोगे बोलिए जी,
चुप ज़ुबाँ को खोलिए जी।
याद में छुप कर बहुत दिन,
अब बहुत दिन रो लिए जी।
क्यों बसे आकर ज़हन में,
क्यों तसव्वुर हो लिए जी।
है अगर हमसे मुहब्बत,
लफ़्ज़ से रस घोलिए जी।
है ज़रूरत एक हाँ की,
शब्द भी क्या सो लिए जी।
कर सके पूरे न वादे,
दोस्त ख़ुद को तोलिए जी।
देखिए हमने नयन भी,
आँसुओं से धो लिए जी।
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