देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

जुगनू था तारा था क्या था (ग़ज़ल) Editior's Choice

जुगनू था तारा था क्या था,
दरवाज़े पर कौन खड़ा था।

सदियाँ बीतीं दरवाज़े पर,
काम फ़क़त तो पल भर का था।

फँसी हुई थी डोर पँख में,
इक चिड़िया का हाल बुरा था।

सब कुछ ज़ेर ज़बर कर डाला,
तेज़ हवा को किस से गिला था।

पत्तों ने जब मिट्टी बजाई,
मैं इक मिस्रा ढूँड रहा था।

नज़्म के रौशन सय्यारे पर,
मैं ने अपना नाम लिखा था।

मैं ने अपना नाम लिखा था,
जुगनू था तारा था क्या था।


            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें