जो बीत गया सो बीत गया,
अब बीता वक्त भुलाने दो।
जीवन है आशा का दीपक,
जो छोड़ गया उसे जाने दो।
बीते से जो सीखा मैंने,
नव क्यारी में उपजाने दो।
रंग-बिरंगे फूल खिलेंगे,
ऋतुराज बसंत तो आने दो।
ढेरों कलियाँ और खिलेंगी,
अब फूलों को मुरझाने दो।
नव पल्लव भी और उगेंगे,
बस सूखों को झड़ जाने दो।
भीड़ कहीं भी कम न होगी,
जो जाते हैं सब जाने दो।
सर्दी है, गर्मी भी होगी,
बस मौसम को, टल जाने दो।
ज़्यादा टीस भरो न मन में,
आँखों से थोड़ी बहने दो।
छोड़ो अपना रोना-धोना,
कुछ औरों को भी कहने दो।
तपता सूर्य ढल जाएगा,
बस शीतल चंदा आने दो।
छट जाएँगे काले बादल,
सूर्य, पूर्व का जल जाने दो।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें