उठाया ही था पहला कौर
कि पगहा तुड़ा कर भैंस भागी कहीं और
पहुँचा ही था खेत में पानी
कि छप्पर में आग लगी बिटिया चिल्लानी
आरंभ ही किया था गीत का बोल
कि ढोलकिया के अनुसार फूट गया ढोल
घी का था बर्तन और गोबर की घानी
पानी जैसी चाय पी, चाय जैसा पानी
एक हाथ जोड़ा तो टूट गया डेढ़ हाथ
यही सारा जीवन-वृत्तांत रहा दीनानाथ!
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