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जल के लिए (कविता) Editior's Choice

जितना भी जला दे
सूरज
सुखा दे पवन
सूखी-फटी पपड़ियों में
झलक आता है
धरती का प्यार
जल के लिए—
गहरे कहीं जज़्ब है जो।


            

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