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जैसे मैं (कविता) Editior's Choice

क़ब्र पर जो यहाँ लिखा है
उसमें दु:ख की कोई इबारत नहीं
नाम, जाति, जन्मतिथि
एक अनाम इतिहास है

इसके बीच से उगा पौधा
पौधे पर विहँसता फूल
बोलता-सा लगता है
जीवन ख़त्म नहीं होता कभी

लड़ रहा होता है कोई न कोई
जैसे मैं...


            

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