“बैल तू जानवर है
बैठ मत
उठ! चल खिंच हल
सूरज सिर पर चढ़ आया है
वरना
तुझे मार पड़ेगी”
हलवाहा पसीने से तर-ब-तर बोला।
बैल
“क्या बोला?
जानवर मैं नहीं तू है
जाते ही मालिक पूछेगा
झूँझला जाएगा
भद्दी-भद्दी गालियाँ बकेगा
लात मार देगा
मुँह पर थूक देगा
मैं तो नाद में पेट भर खाऊँगा
तू अपनी सोच।”
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें