बीकानेर, राजस्थान | 1964
शाम किसी आवाज़-सी बलखाती तस्वीरों से जा चुके चेहरे उदास हो उतरने लगते जिस आँगन वहाँ टूटी साँस का तार फफक में हिलता
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