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हम सैनिक हैं (कविता) Editior's Choice

हम सैनिक हैं, हमें जगत में किसका डर है?
रणक्षेत्र ही सदा हमारा प्यारा घर है।
हृदय हमारा विपुल वीरता का आकर है,
आँगन-सा है हमें भुवन, प्रकटित सब पर है।
वह कौन कार्य है हम जिसे
कर न सकें पूरा कभी?
निज भारतीय बल-वीर्य्य का
आओ, परिचय दें अभी॥

है पृथ्वी में कौन वस्तु वह जिसके द्वारा—
हो सकता गतिरोध तनिक भी कभी हमारा?
दुर्गम गिरि, वन, वह्नि, प्रबल पानी की धारा—
सभी सुगम हैं हमें जानता है जग सारा।
वह कौन शत्रु है हम जिसे,
जीत न सकते हो कभी?
निज भारतीय बल-वीर्य्य का,
आओ, परिचय दें अभी॥

प्राण-दान कर हमीं विजय की ध्वजा उड़ाते;
मातृ-भूमि को विपज्जाल से हमीं छुड़ाते।
अनुत्साह, आलस्य हमारे पास न आते;
हमें मृत्यु के बाद हमारे गीत जिलाते।
हम पश्चात्पद संग्राम से,
हो सकते हैं क्या कभी?
निज भारतीय बल-वीर्य्य का
आओ, परिचय दें अभी॥

भरा हमीं में भीम और अर्जुन का बल है;
कंपित हमसे कहाँ नहीं होता रिपु दल है?
वीरप्रण सब काल हमारा अचल, अटल है,
राम-कृष्ण का अभय-दान हम पर निश्चल है।
ये यवन हमारे सामने
टिक सकते हैं क्या कभी?
निज भारतीय बल-वीर्य्य का
आओ, परिचय दें अभी॥

आओ वीरो! आज देश की कीर्ति बढ़ा दें,
सबके सम्मुख मातृभूमि को शीश चढ़ा दें।
शत्रु जनों को मार यहाँ से अभी हटा दें;
उनका घोर घमंड सदा के लिए घटा दें।
संसार देख ले फिर हमें,
तुच्छ नहीं हैं हम कभी;
निज भारतीय बल-वीर्य्य का
आओ, परिचय दें अभी॥


            

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