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हम आज़ादी के दीवाने (कविता) Editior's Choice

विजयी वीर सिपाही
हम आज़ाद हिंद फ़ौज के
विद्रोही मल्लाही
आज़ादी का दुश्मन जो हो
यूँ ही छोड़ न देंगे
दम न लेंगे जब तक
ये बंधन भी तोड़ न लेंगे
पहन भेड़ की खाल भेड़िए
कब तक छुपे रहेंगे
आज़ादी पर मरने वाले
शीश न और झुकेंगे


            

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