इतवार के दिन
न मैं उठूँ जल्दी
न तुम
सूर्य उठे केवल
काम पर अपने लगना होगा उसे
दहके कहीं
हमें क्या
आते खिड़की तक हमारी
ठिठुरना ही है उसे
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