जल जाता है दीये की तरह
जीवन रोशन कर जाता गुरु।
ख़ुद रखे अँधेरा दीपक की तरह
जीवन को प्रकाशित करता गुरु।।
सड़क की तरह स्थिर होते गुरु,
ख़ुद वही लेकिन दूसरों को
अपनी मंज़िल पहुँचाते गुरु।
हम कच्ची मिट्टी कुम्हार है गुरु,
सही थाप माटी से शिष्यों को
हमको सुंदर मूर्ति बनाता गुरु।
अज्ञानता की गहराई खँगाल कर,
हमारी नादानियाँ को समझकर
नई चाल हमको देता है गुरु।
मन में ज्ञान का दीपक जलाकर,
जीवन को सरल सुख बनाता गुरु।
सही ग़लत में फ़र्क़ बताकर,
जीवन को हर अँधेरे में
हमें रोशनी दिखाता गुरु।
बंद हो जाते सारे दरवाज़े,
तो हमको राह दिखाता गुरु।
सिर्फ़ किताबी ज्ञान नहीं,
जीवन जीना सिखाता गुरु।
हमें इतना क़ाबिल बना दिया,
डाँट लगाते लगाते गुरु।
'समय' को ही गुरु
आज बना दिया गुरु।।
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