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घुटन (नज़्म) Editior's Choice

जी में आता है कि इस कान से सूराख़ करूँ
खींच कर दूसरी जानिब से निकालूँ उस को
सारी की सारी निचोड़ूँ ये रगें, साफ़ करूँ
भर दूँ रेशम की जलाई हुई बुक्की इन में

क़हक़हाती हुई इस भीड़ में शामिल हो कर
मैं भी इक बार हँसूँ, ख़ूब हँसूँ, ख़ूब हँसूँ


रचनाकार : गुलज़ार
            

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