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ग़ुस्सा (कविता) Editior's Choice

बूँद बराबर बौना-सा भन्नाकर लपका
पैर के अँगूठे से उछला
टख़नों से घुटनों पर आया
पेट पे कूदा
नाक पकड़ कर
फन फैला कर सर पे चढ़ गया ग़ुस्सा!


रचनाकार : गुलज़ार
            

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