जहाँ बिल्ली को खदेड़ता
दिख जाएगा ख़रगोश
वहीं अपना घर बनाऊँगा
वहीं शीत वसंत लाऊँगा
वहीं लगाऊँगा
सेब, नारंगी, संतरा
वहाँ कामधेनु पोसूँगा,
वहीं कवियों, बुलाऊँगा तुम्हें
और काव्य-पाठ कराऊँगा
जहाँ बिल्ली भागती होगी
और पीछे से खदेड़ता होगा
ख़रगोश...
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