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ग़मों में ज़िंदगी का क्या करेंगे (ग़ज़ल)

ग़मों में ज़िंदगी का क्या करेंगे,
लबों की ख़ामुशी का क्या करेंगे।

मुहब्बत डायरी में लिख चुके हैं,
अमाँ अब शाइरी का क्या करेंगे।

रक़ीबों से उसे हम छीन भी लें,
मगर ऐसी ख़ुशी का क्या करेंगे।

हमारी ज़िंदगी में तीरगी है,
मियाँ हम रौशनी का क्या करेंगे।

शराफ़त ख़ानदानी है हमारी,
बताओ हम किसी का क्या करेंगे।


लेखन तिथि : 4 जनवरी, 2020
अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
तक़ती: 1222 1222 122
            

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