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घाटे पर घाटा (कविता) Editior's Choice

भोंदूमल बेकार थे, हुआ पिलपिला हाल।
फ़ाक़े होने लगे तब, पहुँच गए ससुराल॥
पहुँच गए ससुराल, बीस दिन करो चराई।
पाँच किलो बढ़ गया वज़न, आई चिकनाई॥
घर आए तो देखा, छह मेहमान डट रहे।
उनके दर्शन करते ही, छह किलो घट गए॥


            

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