फ़ासला नज़दीकियों का मूल है,
ज्यों गुलाबों का सहारा शूल है।
इक ज़रा सी बात पर नाराज़गी,
मान लो यह नासमझ सी भूल है।
मेल बिन बढ़ता रहेगा फ़ासला,
बात है इक दम खरी माकूल है।
भूल कर के भी न मानें भूल तो,
जान लो जी वक़्त कुछ प्रतिकूल है।
रूह कहती ख़ूब सब भूल जा,
मन मगर देता निरन्तर तूल है।
मन सदा चंचल रहा 'अंचल' बहुत,
मोतियों को भी बताता धूल है।
मान दिल की बात कर भी ले सुलह,
प्यार तो हरपल महकता फूल है।
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