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एक हमारा देश (कविता) Editior's Choice

एक हमारा ऊँचा झंडा, एक हमारा देश,
इस झंडे के नीचे निश्चित एक अमिट उद्देश।

देखा जागृति के प्रभात में एक स्वतंत्र प्रकाश;
फैला है सब ओर एक-सा एक अतुल उल्लास।
कोटि-कोटि कंठों में कूजित एक विजय-विश्वास,
मुक्त पवन में उड़ उठने का एक अमर अभिलाष!
सबका सुहित, सुमंगल सबका, नहीं वैर-विद्वेष,
एक हमारा ऊँचा झंडा, एक हमारा देश।

कितने वीरों ने कर-करके प्राणों का बलिदान,
मरते-मरते भी गाया है इस झंडे का गान।
रक्खेंगे ऊँचे उठ हम भी अक्षय इसकी आन,
चक्खेंगे इसकी छाया में रस-विष एक समान।
एक हमारी सुख-सुविधा है, एक हमारा क्लेश,
एक हमारा ऊँचा झंडा, एक हमारा देश।

मातृभूमि की मानवता का जाग्रत जयजयकार;
फहर उठे ऊँचे से ऊँचे यह अविरोध, उदार।
साहस, अभय और पौरुष का यह सजीव संचार;
लहर उठे जन-जन के मन में सत्य अहिंसा प्यार!
अगनित धाराओं का संगम, मिलन-तीर्थ-संदेश:
एक हमारा ऊँचा झंडा, एक हमारा देश।


            

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