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एक और मुश्किल (कविता) Editior's Choice

अत्याचार कहने पर प्रतिक्रिया होती है
दुःख कहने पर कोई दिल पसीजता है

दोनों के बीच हिलता
एक धागा छूटता रहता है
भाषा संदिग्ध होती जाती है

कविता लिखते शर्म आती है

न लिखी कविता साथ चलती है
सिर झुकाए
ग़रीब की बेटी की तरह
जैसे जन्म लेकर
मुसीबत में डाल दिया है
किसी को।


रचनाकार : शुभा
            

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