देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

दुःख को गले लगा लो (कविता) Editior's Choice

ईश्वर का पैरहन उधड़ रहा था...
दुःख की सुई से
चींदी-चींदी टाँका
सुख टाँके के रेशे जितना ही रहा
उघड़े हुए दुःख को ढाँकता ईश्वर
भूमिगत हो गया है
तुम्हें ईश्वर का साक्षात्कार चाहिए
तो दुःख को गले लगा लो!


            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें