दर्शन तो करके ही जाएँगे चाहे बाधाएँ हो कहीं,
टूटकर बिखरना तो हमने कभी सीखा ही नहीं।
भोले को पाने के लिए शोले का रास्ता ही सही,
प्रसाद भाँग ही मिले बिना दर्शन जाएँगे ही नहीं।।
लक्ष्य नहीं मिलता है उनको जो निराश हो जाते,
कठिनाइयों एवं परेशानियों से ही हार मान लेते।
लक्ष्य पाने के लिए लड़ना पड़ता काली रातों से,
और वही लोग तकलीफ़ पाकर मंज़िल छू लेते।।
भगवान शंकर है भोला उतना ही है वह शोला,
भोले की रहती जिस पर छाया उतनी ही माया।
बाबा को सारी दुनियाँ कहती है भोले भण्डारी,
लेकिन लिलाएँ भी भोले की बहुत ही निराली।।
बाबा है देवों के ही देव ऐसे त्रिपुरारी वो महादेव,
ब्रह्मा विष्णु रटते महेश और दानव डरते गणेश।
जो अमरनाथ धाम जाते, मनवांछित फल पाते,
सारे काज उसके सँवरते पशुपति यह कहलाते।।
ये तीनों लोक थर-थर काँपे जब भोलेनाथ नाचें,
आप है कालों के भी काल एवं आप महांकाल।
सब कष्ट परेशानियाें का आपके पास समाधान,
आपसे ही होता शुरुआत एवं आपसे अंतकाल।।
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