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दामाद (कविता)

बिटिया का पति दामाद होता है,
समय की बात है कि दामाद
कभी रसगुल्ला तो कभी
दोधारी तलवार होता है।
गिरगिट की तरह रंग बदलने मे माहिर
पुत्र सा व्यवहार भी करता है
बस दिमाग़ गरम भर हो जाए
तो दोधारी तलवार लगता है।
सालियों से थोड़ा असहाय दिखता है
मगर सालों से छत्तीस का आँकड़ा
बहुत बार रखता है।
दामाद ससुर से बड़ा प्यार रखता है
मगर सास से थोड़ा फ़ासले से
व्यवहार करता है
दामाद की अपनी गरिमा है,
उस गरिमा का भी
सम्मान होना चाहिए,
दामाद भी बेटे सरीखा ही होता है
सास ससुर को इसका भी
तनिक ख़्याल रखना चाहिए।
वो भी बेटा सा तभी दिख सकता है,
जब सास ससुर में भी उसे
पत्नी के माँ बाप की नहीं
अपने माँ बाप का अक्स दिखता है।
तुम बेटे जैसे हो
ये आइना मत दिखाइए,
कहने के बजाय उसके साथ भी तो
माँ बाप जैसा व्यवहार
तो करके दिखाइए।
दामाद कोई अजूबा नहीं
किसी का बेटा भी है,
तभी तो आपकी बेटी का पति
और आपके साथ दामाद का रिश्ता है।
दामाद कैसा भी हो ये अलग बात है
समय पड़ जाए तो
बेटे से कम ज़िम्मेदार नहीं होता है।


लेखन तिथि : 16 सितम्बर, 2021
            

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