झुन्झुनू, राजस्थान | 1948
जब प्राणवायु ने अपनी से दोगुनी जलवायु से मिलकर सिरजी एक बूँद जल की तब उसी बूँद के आईने में देखा मैंने ख़ुशी से नाचता समूचा ब्रह्मांड।
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